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Wednesday 20 July 2016

बात छोटी पर हैं पते की

जय माता जी की,

               कहते हैं की किसी नै इज्जत कमाई इस लिय हम गर्व से कहते हैं की मैं तो हराजपूत हूँ। हमने ऐसा कोई काम ही नहीं किया जिस से लोग हमारी इज्जत करे। पहले के राजपूतो की छवि से हमारा जीवन चल रहा हैं
बरसात की एक रात का वो वाकया मुझे आज भी याद हैं।
             मैं मेरे रिस्तेदार के गांव जा रहा था। लेकिन संयोग ऐसा हुआ की। मैं जिस बस में बैठा वो बस घूमते घूमते रात के ११ बजे गॉव पहुंची। रात अँधेरी थी। मैं अंजान था मुझे अभी लगभग तीन चार किलोमीटर और चलना था। तभी मेरे ठीक पीछे एक परिवार जो की पति पत्नी और एक छोटा बच्चा।किसी नै आकर पूछा कहाँ जाओगे। चलो हम छोड़ देंगे। हम भी उसी रस्ते जा रहे हैं। लेकिन उन्होंने मना कर दिया।तभी मेरे कानो में एक शब्द सुनाई दिया। उनको पूछो शायद राजपूत हैं।


                                   पति ने मुझे पूछा आप राजपूत हो। मैंने कहा हा.क्या हुआ। पति बोल कुछ नहीं हमें भी गॉव जाना हैं। लेकिन अँधेरा हैं और रास्ता सुनसान। तो मैने कहा वो दो तीन लोग गए थे न। पति बोला नहीं।चलो हम आप के साथ चल देंगे ,म्हणे पूछा ऐसा क्यों तो पत्नी बोली आप तो राजपूत हो।
                                  म्हणे उपर अँधेरे आकाश में देख कर भगवान  को धन्यवाद दिया की मुझे राजपूत के घर जन्म मिला ,जिस पर आज भी जनता विश्वास करती हैं। उस दिन मुझे अपने राजपूत होने पर फकर था।
 यह हैं राजपूत की परिभाषा मैंने कुछ नहीं किया था लेकिन पूर्वजो की इज्जत का मुझे भी गर्व था
बात छोटी थी लेकिन असर बड़ा  था।
             
                                   जय राजपुताना , जय हिन्द ,  जय भारत।
                                                                                                         मोती सिंह राठौड़ (जोइंनतरा )
                                                                                                                       लेखक

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