Thursday 4 February 2016

जानकारी और संपर्क



मोती सिंह राठौड़
9665151996
ईमेल : motisinghrathore2@gmail.com

ग्रन्थ हमारा गर्व हैं

       राजपूत समाज ,
 रामायण  हमारा गर्व हैं ,महापुरुषों ने इस समाज में जन्म लिया,दुनिया में यह समाज आदर्श का दूसरा नाम था औए हैं  ग्रन्थ हमारा गर्व हैं
           हर युग में जब जब गरीबो कमजोरो पर जुलम बढ़ता हैं। चारो तरफ अफरा तफरी बढ़ जाती हैं तब हीरो का जन्म होता हैं। हीरो कभी अपने लिये नहीं सोचता। अपने मुँह का निवाला दूसरे को दे दे। खुद तकलीफ देख कर दुसरो के दुःख दूर करे,बिना किसी स्वार्थ लोगो इस जहाँ की सेवा में अपना सब कुछ लगा दे ते हैं।

                      धरती पहले पहले जाती,धर्म नहीं था सब का एक ही धरम था इंसान।जो की आज कही पीछे छूट गया हैं। उस दौर में खेती ही जीवन का आधार था। जानवर और इंसानो के बीच कोई तीसरा नहीं था। बैलो से खेती और बैलगाड़ी से सफर अमूमन औरते बैलगाड़ी से सफर करती थी ,मर्द तो पैदल ही निकल पड़ते थे।
                        समय के साथ धरती बदलती गई और समय का चक्र आगे बढ़ता रहा।कई युग युगो के बाद धरती पर जुल्म बढ़ गया तब चारो तरफ एक ही आवाज़ हर गरीब और कमजोर,साधु संत  की एक आवाज निकल रही थी।  हे ऊपर वाले अब तो आजा। तब धरती पर राम   कृष्ण ,मुहमद ,ईशा ने धरती पर जन्म लिया। अब देखने वाली बात यह हैं की ऊपर तीन लोग का साम्राज्य छोड़ कर क्यों राजा दशरथ के पुत्र बने। काहे जेल में जन्म लिया कृष्ण नै। क्यों ईशा गरीब के घर पैदा हुए।
                       इसका कारण हैं हीरोज (महापुरषो को चमकदमक नहीं ऐश आराम नहीं जनता के दुखो को समझना हैं तभी तो उनको पता चलेगा की दुःख ऐसा होता। मैं यह सब लिख रहा हूँ क्यों की आज चारो तरफ अफरा तफरी सिर्फ अम्मीर बनाने की लगी हैं मैं यह नहीं कहता की धन नहीं होना चाहिए लेकिन इस कदर भी नहीं की सभी रिस्तो का मोल इंसानियत का मोल सिर्फ रुपयो व धन के आगे कुछ नहीं।
                 
                 राम जो की दशरथ नंदन विष्णु अवतारी लेकिन  कितने सरल सब का दिल जीतने वाले और साथ में सीता भाई लक्ष्मण भरत ,शत्रुघ्न और तीन तीन माताएँ पिता दशरथ। अर्थात कितने सुखी कितने अमीर सबकुछ था राम के पास। राम को सब कुछ बिना कुछ किये जन्म ते ही मिल गई। क्या कमी थी राम को। लेकिन राम के लिये यह सब सुख बेकार था।
                राम अयोध्या की गलियों में घूमते थे लोग कहते राजकुमार होकर भी हमारे बीच घूम रहे हैं।
 राम उस युग से लेकर आज तक हमारे हीरो हैं कारण सुख छोड़ कर जंगलो में भटके,कही केवट तो कही सबरी के बेर,तो कही अहियल्या को पत्थर से नारी बनाना,कही जटाऊ का मोक्ष कही हनुमान की दोस्त भक्ति कही सुग्रीव को राज दिलाना ,कही तड़का वध कही रावण का वध और सुग्रीव को राज देना। खुद नै कभी कुछ नहीं माँगा। चाहते तो खुद रावण का वध अकेले ही कर सकते थे लेकिन पप्रकर्ति के सामने नत मस्तक कभी नियम नहीं तोडा। अगर हीरो ही नियम तोड़ेंगे तो फिर इस प्रकर्ति को कौन बचाएगा।
                दोस्तों,
                         आज मैं रामायण के कुछ पहलू आपको बताऊंगा ,जिसके कारन हर हिंदू को रामायण अपने घर पर रखनी चाहिये।  रामायण अपने आप में पूरी प्रकर्ति हैं रामायण के पात्र जिस प्रकार नाम और काम हैं उसको समझाना जरुरी हैं। राम ,सीता लक्ष्मण ,हनुमान ,भरत ,सबरी,रावण ,जटाऊ ,सग्रीव,मारीच ,तड़का ,सूर्पनखा ,बाली,जामवंत व अन्य सभी पात्रो की अपनी कहानी हैं

                                  हनुमान क्या  हैं 

कलयुग  में सिर्फ हनुमान की चलती हैं ,और जो उनके मनपसंद का खाता और पीता हैं उनपर होते हैं महरबान 


रामायण में अगर हनुमान नहीं होते तो रामायण सूनी होती। जंगल में सीता हरण के बाद हनुमान ही राम के रखवाले थे। जो सर्ष्टि के रखवाले उनके रख रखवाले हनुमान। जब सीता की खोज का बीड़ा घुमाया जाता हैं तब शांति से हनुमान मुस्कराते हुए उस बीड़े को देख रहे हैं  जामवंत सभा को कहते हैं की यह बीड़ा तो हनुमान ही उठा सकते हैं। दूसरा कोई नहीं। हनुमान कुछ सोचते हैं। .सभा में सन्नाटा,तभी,क्या हुआ हनुमान तभी,जामवंत लो हनुमान अब तुम ही हो जो राम का काम पूरा कर सकते हो। हनुमान उस बीड़े  को उठाते हैं और आप और मैं सब को जानते  हैं की हनुमान नैं उस बीडे की लाज रखी बल्कि सीता का पता लगा कर रावण की लंका में आग लगा दे ,


अमेरिका के राष्ट्रपति और महाभारत में अर्जुन के रथ की ध्वजा पर थे हनुमान ,श्री कृष्ण मानते थे हनुमान को



                 जब लक्ष्मण को शक्ति लगी तब भी सब की नजर हनुमान पर थी ,सूरज उगने से पहले जड़ी बूंटी लाना क्या मजाक था लेकिन हनुमान ने करदिया। जब भरत ने राम से कहा था की 14 बर्षो के बाद अगर एक भी दिन जायदा होगया तो आपका भरत अपने प्राण आग में जलकर त्याग देगा। लंका विजय के बाद राम के मन में अब एक ही चिंता थी की अगर समय पर नहीं पहुंचा तो भरत प्राण त्याग देगा। लेकिन ऐसा कोई विमान नहीं जिस से सूर्यास्त से पहले अयोध्या पहुंचा जाये। तब जामवंत राम की अंतरमन की आवाज सुनकर राम को कहतें हैं की हनुमान हैं ना विमान से भी सौ गुणा तेज और हनुमान राम को अयोधिया पहुँचते हैं। 
                    ऐसे कितने कार्य हनुमान ने किए। बोलो हनुमान की जय ,पवन पुत्र की जय। 

   इसी प्रकार आप को रामायण के हर किरदार की खूबियों को पढ़ने को मिलेगा 
                                                               धन्यवाद 
     
      

Wednesday 3 February 2016

हे,राजपूत तेरा वजूद

       


          हे,राजपूत अब तो नींद से जाग,तेरा वजूद खत्म हो रहा हैं

            
                            


                                       
हे राजपूत अब तो नींद से जाग ,जब तेरा वजूद खत्म हो रहा हैं
    




     
जय भवानी ,
                                 
खम्मा घणी ,
                                                       
हे राजपूत अब तो उठ जा ,
             
एक समय था जब तेरी छात्र धर्म की कदर थी,लेकिन अब नहीं ,
           
तेरी आन बान की पगड़ी पैरो में पड़ी,माँ बहिन,बेटी की गरिमा भी रो पड़ी  कियो हो गया कमजोर शेर.किया अब तेरा जलवा मरगया। मत कर दुसरो पर अत्याचार पर अब तो अपनी इज्जत को बचा ले।
                             
कितना और गिरेगा अपनी नजर में.मत लज्जा अपनी माँ की कोख अब तू। उठ खड़ा होजा अपनी आन बान सां के लिये तू। जातियों से रखना मेल मिलाप तू पर बिकना मत बाजार में। अरे यदि इतना ही करना होता तो कियो फिरता घाटियों में राणा प्रताप ,कियो नहीं लिया महरान दुर्गा दास ने ,कियो काट अपना सिर हाडी ने दिया अपने पिया को।
                               
अरे घास री रोटी ही जद बन बिलावड़ो ले भगोयो,जद राणा रो सोयो दुःख जाग पड़ियो।
कियो इण कागद रो उत्तर पीथल अकबर रो चाकर होते खातर भी राणा ने लिखियो ,मैं बाच बाच ने  फिर बाचियो जद नयन करियो विश्वाश नहीं। मैं आज सुनी हू सुरजियो बदल्यिा री ओटा रहवेला,अरे जद छात्र धर्म ही मिट जासी तद कुन मान बचाशी।
                             
सुधारो नर्सरी कोख में हे छत्राणियों जन्म दो अब शेरो ने ,कियो बंद हुगा जलमना राणा प्रताप ,सांगा ,हमीर,दुर्गा आशकरण रा।


बन जा एक भारा होजा तैयार अपने हक़ को लेने को.

वकत रहते जग जा नहीं तो चिड़िया चुग जाएँगी खेत। आपस में लड़ना छोड़ दो.वकत की नजाकत को समझो आज संघटित हैं तो सबकुछ हैं हम आज आपस में लड़ रहे हैं तो ज़माने से क्या सामना करोगो। अपने आप को पहचानें मे किस कुल का किस समाज का हिसा हूँ। मेरा क्या इतिहास रहा हैं।
                कर्नल टॉड ने जो कहा वह सही कहा "मतिरो की पोटली और शेरो के झुण्ड नहीं होते "
   हमें अब इस पंक्ति को बदलना होगा। हमें एक होना होगा।
                              खान पान पर अंकुशरखना होगा।

राजपूती इतिहास




राजपूत आज तक पत्रिका  में आप पढ़ेंगे और देखेंगे की आज वर्तमान में राजपूत किया हैं। जिसमे आप अपनी राय और जान करी जोड़े और पढ़ सकेंगे।
राजपूत आज में राजपूती इतिहास की जानकारी और राजपूती परम्पराओ व राजपूत वंश की आन बान और शान के साथ सभी राजपूती वंशो की समय समय पर वंश जानकारीऔर साथ ही साथ ऐसे लेख जो समाज को दशा दे सके। समाज के शूरवीरो की कहानियाँ व जीवनियाँ भी शामिल होगी। राजपूत समाज के महापरुषो व आराध्यों की जानकारिया। समाज को   विश्व स्तर की जानकारी। समाज के युवा वर्ग को समाज का ध्यान दिलाना जिससे युवाओ के मन में समाज की सोच विकसित हो। समाज क्या हैं समाज का क्या मतलब हैं ,समाज क्यों जरूरी हैं समाज से क्या लेना हैं और क्या देना हैं समाज की सभी गतिविधियों की जानकारी इस एप्प में होगी।
  समाज की निर्देशिका जिस में नाम पाता कार्य गाव जिला राज्य देश आदि की जानकारी भी डाली जाएगी। समाज में कितने डॉक्टर है कितने अधिकारी हैं कितने व्यापारी हैं। कितने सरकारी और राजनैतिक पदो पर  हैं


विशेष

           आप अपने बच्चे की ब्रेन रिपोर्ट से जान सकते हैं उसमे छुपी हुई प्रतिभा 100 % सही रिपोर्ट।
36 पेज की रिपोर्ट मे आप अपने बच्चे की खूबी को जान सकते हैं।
  अगर आपको अपने बच्चे को बनाना हैं सुनहरा तो  रिपोर्ट जरूर ले।
अगर आप अपने बच्चे की ब्रेन रिपोर्ट लेना चाहते हैं तो यंहा क्लिक करे : http://braintalent.blogspot.in/
संपर्क करे -09665151996 

राजपूती इतिहास की जानकारी




राजपूत आज तक पत्रिका  में आप पढ़ेंगे और देखेंगे की आज वर्तमान में राजपूत किया हैं। जिसमे आप अपनी राय और जान करी जोड़े और पढ़ सकेंगे।
राजपूत आज में राजपूती इतिहास की जानकारी और राजपूती परम्पराओ व राजपूत वंश की आन बान और शान के साथ सभी राजपूती वंशो की समय समय पर वंश जानकारीऔर साथ ही साथ ऐसे लेख जो समाज को दशा दे सके। समाज के शूरवीरो की कहानियाँ व जीवनियाँ भी शामिल होगी। राजपूत समाज के महापरुषो व आराध्यों की जानकारिया। समाज को   विश्व स्तर की जानकारी। समाज के युवा वर्ग को समाज का ध्यान दिलाना जिससे युवाओ के मन में समाज की सोच विकसित हो। समाज क्या हैं समाज का क्या मतलब हैं ,समाज क्यों जरूरी हैं समाज से क्या लेना हैं और क्या देना हैं समाज की सभी गतिविधियों की जानकारी इस एप्प में होगी।
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Tuesday 2 February 2016

राजपूत आज तक "पत्रिका"

                               

                                 राजपूत आज तक  ''पत्रिका"  

                                राजपूती इतिहास की जान करी 



  खम्मा घणी ,जय भवानी ,जय माता जी की,

 मेरा नाम मोतीसिंह राठौड़ हैं गांव का नाम जोइन्तरा  हैं जो की जोधपुर नागौर रोड पर जोधपुर से 40 किलोमीटर हैं।  कार्य लेखन व फिल्म निर्माण से जुड़ा हुआ हैं। मेरी नौकरी सेना में लगी थी लेकिन में समाज के लिए कुछ अलग करना चहाता था। मैं स्कूल के  समये से ही समाज के बारे में सोचता था लेकिन उम्र तब छोटी थी।  
         फिर सेना में नौकरी लग गयी लेकिन मन नहीं माना और नौकरी छोड़दी। ताकि समाज सुधार का काम कर सकु। तो मैने मीडिया और लेखन का क्षेत्र चुन लिया। जिसमे मैं अपने समाज के बारे में लिख सकु। 

            आप सभी का राजपूत आज तक वेबसाइट  में स्वागत हैं। राजपूत आज तक का मतलब हैं की आज राजपूत क्या  हैं और  इतिहास किस तरफ मूड रहा हैं। राजपूत अपने आप में परिपूर्ण शब्द हैं। लेकिन आज राजपूत किस तरह अपनी पहचान के लिये झुंझ रहा हैं। 
   
             राजपूत इतिहास विश्व का सर्वोपरि इतिहास रहा हैं। त्याग ,तप ,मान ,मर्यादा तो राजपूतो का गहना हैं। मैं राजपूतो की सबसे बड़ी स्कूल चौपासनी जोधपुर मे पढ़ा हूँ। जिसका इतिहास आज भी अमर हैं। कभी भारत में एक नम्बर पर थी। पढ़ाई भी राजपूती तरीके से होती थी। लेकिन आज स्वरुप अलग हैं। 
             
           राजपूती इतिहास को बदलने वास्ते महाभारत का एक किसा पढ़ना जरूरी हैं जब अभिमन्यु जब माँ के गर्भ में था। तब अर्जुन चक्रव्हयू की लड़ाई का किसा सुनाता हैं जिसको अभिमन्यु माँ के गर्भ में सुनकर चक्रविहु में लड़ता हैं 
          इसका मतलब इतिहास को बनाना हैं तो माँ के गर्भ में पलने वाले बालक को इतिहास की जानकारी देनी होगी। उसको राजपूती इतिहास की शूरवीरता की शिख गर्भ संस्कार में देनी होगी। समाज की माताओ व बहिनो को गर्भ संस्कार के समय संस्कारित इतिहास पढ़ना होगा। 
         कहावत हैं बाग सुधारना हैं तो नर्सरी सुधारो। 

 संस्कारो की नीव गर्भ संस्कार हैं माताओ और बहिनो को अब इतिहास के बारे में सोचना होगा। नारी ही इतिहास की पारी भाषा बदलती हैं। राणा प्रताप हो या शिवाजी सबको माताओ ने सींचा हैं 
         राजपूत समाज आज की दशा और दिशा में कुछ भटक सा जा रहा हैं। समाज के बारे में अब सोचना होगा। नहीं तो आगे किया होगा पता नहीं। 

          पढ़े लिखे व आर्थिक सम्पन समाज के बंधुओ को अब आगे आकर समाज को सुधार व सही दिशा की तरफ मोड़ना होगा। पहले के समय में किताबे व अखबारों का समय था लेकिन आज समाज को मीडिया ,व डिजिटल क्रांति में भी आगे आना होगा। जिससे हम हर कदम पर जमाने को दिखा सके की राजपूत समाज हर युग में परिपूर्ण था और हैं। 
  आज नशा हमारे   समाज  को खोखला कर रहा हैं। शिक्षा में हम पिछड़ रहे  हैं। तो फिर हम किस तरह आगे बढ़ेंगे। इसके बारे में सोचना होगा। जो समाज बंधू राजस्थान से बहार व्यापारी बनकर बहार रह रहें हैं उनको थोड़ा समाज के बारे में अब सोचना होगा। जिस से समाज को सबलता मिल सके। जो समाज आर्थिक सम्पन हैं उनको समाज सुधार में थोड़ा समय देना होगा। परिवार को सीचना जरूरी हैं लेकिन समाज से ही परिवार सक्षम होता हैं विद्वानो को आगे आना होगा। 
 कूल मिला कर अब समाज क्या हैं पर सोचना होगा। इसलिए मैंने राजपूतआज नामक वेबसाइट का निर्माण किया हैं जिसमे मैं आप सभी कुछ लिखने की अपील करता हूँ। आप भी लेख भेजे जिस से कण कण एक मण बन सके। 
                हमें खान पान पर अब अंकुश लगाना होगा। 
इष्ट देव कुलपरम्परा को सुधारना होगा। कुल नारी को पढ़ा लिखा कर सक्षम बनाना होगा। 

मुंबई राजपूत परिषद की मीटिंग फोटो 

 मुंबई राजपूत परिषद के अध्यक्ष श्री मान रतन सिंह राठौड (तुरा) व पद अधिकारी व वसई नालासोपारा के नाथू सिंह देवड़ा ,विक्रम सिंह देवड़ा,रणजीत सिंह देवड़ा,उम्मेदसिंह शेखावत,मोतीसिंह राठौड़ (जोइन्तरा )व अन्य गणमान्य समाज के राजपूत सरदार उपस्थित थे।
इस मीटिंग में समाज से जुडी के बातो पर विचार विमर्श किया गया.समाज का विकास व युवाओ के मार्गदर्शन की बात।दहेज़ परथा को खत्म करना 


भी मुख्य मुदा रहा। समाज को संघटित होना होगा। समाज के सक्षम लोगो को समाज सुधार मै आगे आना होगा। फिल्म निर्माण के बारे मैं मोती सिंह राठौड़ ने बतायानिर्माण करके समाज की आने वाली पढ़ी के सामने लाना।  की मीडिया के जरिया अच्छे साहित्यो पर फिल्म निर्माण करना। श्री मान सिंह तुरा ने कहा की मैं समाज की हर तरफ से मदद के लिए तैयार हूँ और रहूँगा।
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जोधपुर अंतराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल  2015 के फोटो  

खम्माघणी जय माताजी की जय भवानी ,
28 दिसंबर 2015 को जोधपुर में अंतराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल का आयोजन किया गया। जिसकी शुरुवात मैं मोती सिंह राठौड़ ने की। जिस में रूस स्पेन ऑस्ट्रिया व भारत की फिल्मो का प्रदर्शन किया गया। जोधपुर अंतराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल की तस्वीरे : 







         28 दिसंबर 2015 को मैने जोधपुर में इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल का आयोजन किया था। उसकी फोटो हैं। मै फिल्म निर्माण में लेखक व निर्देशक निर्माता के रूप में कार्य कर रहा हूँ।  तथा समाज की कुछ उन कहानियो पर फिल्मे बनाना चाहता हूँ जैसे बाला सती माता (रूप कँवर ) वीर दुर्गा दास ,हम राजपूत ,और कुछ। 
  मैं आप से ऐशी आशा रखता हूँ की समाज सुधार में मेरा साथ दे।
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विशेष :राष्ट्रीय व  अंतराष्ट्रीय स्तर पर कोई फोटो हैं विवरण के साथ भेजे 

राजपूत आज पत्रिका का लेखन भी कर रहा हैं। कुछ दिनों में  वर्षो का प्रयाश सफल होगा। इस पत्रिका में समाज के के पहलुओ पर जोर डाला जायेगा। वसै तो समाज मे कई पत्रिकाऍ समाज के बुद्धिजीविओ द्वारा निकली जाती हैं। उस लेखन कड़ी में यह मेरा भी छोटासा प्रयास हैं प्रयास मे आप समाज बंधुओ का सहयोग जरूरी हैं। अगर आप का कोई लेख हैं तो आप हमें जरूर भेजे। आप का लेख अगर वाकई छापने लायक हैं तो अवश्य छपेगा। राजपूत आज पत्रिका में। 
                                   

                                "राजपूत आज पत्रिका" 


            1 . वीर दुर्गा दास की कहानी मेरी जुबानी। 
            2 . रामयण हमारा गर्व।
            3 . इतिहास के पन्नो में राजपूत। 
            4 . क्यों भूलगये राजपूत को। 
            5 . कुछ हमारी कम्यां। 
            6 . अब तो जाग उठ राजपूत। 
            7 . राजपूती इतिहास का झरोखा। 
            8 . राजा रजवाड़ा। 
            9 . आम राजपूत दो पाटो में। 
           10 फिल्म निर्माण से राजपूती पतन। 
           11. क्यों जरूरी हैं हमारा फिल्म निर्माण में आना। 
           12 . आज का दौर और राजपूत। 
           13 . नशा कैसे समाज का नाश। 
           14 . क्या राजपूत मांश  खाता था। 
           15. गर्भ सुधार ही समाज सुधार कैसे। 
           16 . राजपूती मर्यादाएं किया और कैसी। 
           17 . राजपूती पहनावों मर्दाना और जनाना। 
           18 . राजपूती पहनाओ और कारण। 
           19 . राजपूती पगड़ी और शान। 
           20 . गढ़ और महल मालिया। 
           21. राजपूती समाज में समाज। 
           22. राजपूती इतिहास रा युद्ध। 
           23 . क्या राजपूती सुरवीर पैदा होने बंद होगये  
                                                                                       लेखक : मोती सिंह राठोड (जोइन्तरा )

                     इन विषयों पर आगे लेख लेख लिखुँगा । अगर इसमें से किसी विषय पर समाज का कोई बंधू लिखना चाहता हैं तो लिख कर मुझे इस ईमेल पर भेजे : rathore201977@gmail.com  
   
             आप का एक विचार समाज की दशा और दिशा बदल सकता हैं। 
   
               आज तलवार नहीं कलम चाहियें। 
               आज समाज को दिशा चाहियें ,
                                                            नारी को अब जागना होगा,नर ऐषा जनना होगा। 
                                                            प्रताप और शिवा,दुर्गा खड़ा करना होगा। 
             हैं समाज से इज्जत अपनी अकेले का कोई वजूद नहीं। 
             अगर हो एक लकड़ी तो टूट जाती हैं लेकिन लकड़ी का भारा नहीं। 
                                                           सुरवीर कुल राजपूत हैं ,सूरज का हैं मान 
                                                           खान पान आन बान से रख शान। 
          कुल ऐषा की लोग तरसे ,मिल्यो भागा सु। 
          कुल रो भार और फ़र्ज़ पुरो कर,शायद पाछो मोको मिले या नहीं। 
                            
                                                         जय भवानी 
                                                                                                  लेखक 
                                                                                          मोती सिंह राठौड़
                                                                              कार्य : लेखक /फिल्म निर्माण 
                                                             संस्थापक :जोधपुर अंतराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल 
                                                             संस्थापक : राजपूत आज वेबसाइट और पत्रिका

email : rathore201977@gmail.com
contact : 7219321980